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आओ जाने और समझे, संविधान से पहले हमारे बाप दादा और हमारी पीढियां कहाँ, कैसे और किन हालातों में रहते थे

आओ जाने और समझे, संविधान से पहले
हमारे बाप दादा और हमारी पीढियां कहाँ, कैसे और किन हालातों में रहते थे

1 : हम लोग कच्चे घरों में, तम्बूओं में, झोपडियो में अमीरों की हदों से हट कर गांव से बाहर तालाब किनारे रहते थे।
2 : धर्म प्रथा, जाति प्रथा,
सति प्रथा, छूत प्रथा, रीति रिवाज, संस्कृति, परंपराओं और अमीरों के अपने ही बनाए गए कायदे कानून के तहत हम गुलाम थे
3 : अच्छा खाना, अच्छा पहनना, बडे लोगों की बराबरी करना, अपने हक के लिए लडना, और पढाई करने का हमें कोई भी हक नहीं था।
4 : हमारे वैद्य ( डाक्टर ),धर्म गुरु और हमारी पंचायतें भी अलग होती थी।
5 : अमीर – गरीब, छोटे – बडे, ऊंच – नीच , और जातिवाद की दीवारें होती थी।
6 : हम औरों के टुकडों पर पलने वाले थे।
7 : हमारा अपना कुछ भी वजूद नहीं था।
8 : समाज में हमारा आदर, मान , सम्मान,इज्जत, नाम और पहचान कुछ भी नहीं था।
9 : हमें मनहूस समझा जाता था।
10 : हमारी औरतों से मनचाही मनमानी और बदसलूकीया की जाती थी।
11 : हमें गुलाम बना कर खरीदा और बेचा जाता था।
12 : हमें हदों और पाबंदियों में रखा जाता था।
13 : जाति और धर्म के नाम पर हमें आपस में ही लडाया जाता था।
14 : हमारे पास किसी भी प्रकार का कोई भी अधिकार नहीं था।
15 : कुछ भी करने से पहले हमें इजाजत लेनी होती थी।
16 : ऊंची आवाज में बोलना, आंखें उठाना, और ऊंचा सिर उठाना हमारे लिये वर्जित था , पाप था।
17 : हमारी एकता के संगठनों को विद्रोही बताकर दण्डित किया जाता था।
18 : अपने मतलब के लिए हमें मोहरा बनाया जाता था।
19 : हम कमजोर, लाचार, असहाय,अनपढ, गरीब , बे-घर और बे- सहारा थे।
20 : हमें दलिदरों में गिना जाता था।
21 : कोई भी हम से दोस्ती या रिश्तेदारी बनाना पसंद नहीं करता था।
22 : हमें नीच और तुच्छ समझा जाता था।
23 : हमें बड़े लोगों की गंदगी साफ करने के लिए इस्तेमाल किया जाता था।
24 : बिना वजह हमें दोषी करार देकर सजायें दी जाती थी।
25 : कठपुतलियों की तरह हमें नचाया जाता था।
26 : अत्याचार, अन्याय, शोषण और जुल्म सहना हमारी आदत थी।
27 : हमारी कहीं भी कोई सुनवाई नहीं होती थी।
28 : हम दर-ब-दर भटकने के लिए मजबूर थे।
29 : मौत और नरक से भी बदतर थी हमारी जिन्दगियां , हमारे घर और हमारे परिवार ।
30 : जहां जीवन में आशा की कोई भी किरण नहीं थी।
31: जहाँ हम गुलामी का
जीवन जीते थे।
32 : हमें गले में हांडी और पीछे झाड़ू बांधकर चलना होता था ताकि हम जमीन पर न थूकें और हमारे पैरों के अछूत निशान जमीन पर न बचें ।
33 : हम दोपहर के अलावा अपने दड़बों से बाहर नहीं निकल सकते थे ।ताकि हमारी परछाई किसी सवर्ण के ऊपर न पड़े ।
34 : दोपहर में बर्तन बजाते हुए ही घरों से बाहर निकल सकते थे ।
35 : हमारा कृषि करना और आखेट करने पर पाबन्दी थी ।केवल मुर्दा मवेशी का ही मांस खा सकते थे ।
36 : हम नया कपड़ा नहीं पहन सकते थे।
37 : हम मानव द्वारा प्रयोग किए जाने वाले तालाब से पानी नहीं पी सकते थे ।पी लेने पर जिह्वा काट देने या मृत्यु दण्ड दिया जाता था ।
38 : हमारे पूर्वज जानवरों के तालाब से ही पानी पी सकते थे।
38 : यदि हम किसी से छू जाते अथवा दिखाई दे जाते तो दंडित किया जाता था।और वह सवर्ण गौ मूत्र से नहाता था।
39 : हमें जानवरों से भी बदतर समझा जाता था।
40 : जब बारिश नहीं होती थी तो तथाकथित इन्द्र देवता को प्रसन्न करने के लिए जगह जगह हमारे पूर्वजों की बलि दी जाती थी।
42 : हमारे पूर्वजों की पहली सन्तान को पैदा होते ही गंगा नदी में फेंक कर बहा देना होता था ।
43 : हमारे परिवार की बेटियों को मन्दिर को दान में देना पड़ता था जो देव दासी कहलाती थी ।उनसे पैदा अवैध सन्तान को हरिजन कहते है।
44 : कोई ब्रिज अथवा भवन बनाते समय चरक प्रथा के नाम पर हमारे पूर्वजों की बलि देकर नींव में दफन किया जाता था।
45 : हमारी माता बहनों को ऊपरी अंग ढकने पर पाबन्दी थी ।
46 : ब्राह्मणी रियासत त्रावणकोर में यह प्रथा अंग्रेज़ी शासनकाल में भी समाप्त करने के लिए तैयार नहीं थे।जिसके लिए जद्दोजहद करना पड़ा।
47 : अच्छूत कहकर महामारी में भी हमारा इलाज नहीं हो पाने के कारण , तड़प – तड़पकर मरते थे हम लोग ।
48 : दो रोटी और कपड़ा के लिए कोल्हू के बैल की तरह काम लिया जाता था हमारे पूर्वजों से।
49 :यह सब पाबंदी के नियम हमारे ऊपर यूरेशियन ब्राह्मणों के उन पूर्वजों ने लगा रखे थे जिन्हें आज हम देवी देवता मानकर पूजते हैं
50 :आज भी ब्राह्मण जन्म कुण्डली में हमें राक्षस , दानव ,दाना ,दैत्य या असुरही लिखता है ।
और स्वयं को श्रेष्ठ मानते हुए देव या देवता लिखता है ।

51 : अपने पूर्वजों की दुर्गति जानकर भी आप इन्हें अपना देवी – देवता मानकर पूजना पसंद करते हैं ,इसे क्या कहें , अज्ञानता या जानकर भी अनजान बनने वाले मानसिक रुप से बीमार…………?

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ऐसा था हमारे बाप दादाओं का
बीता हुआ कल…
लेकिन आज जो परिवर्तन हुआ है बाबा साहब की वजह से।
🙏🏻 जय भीम जय भारत

Updated: 03/12/2021 — 9:07 pm

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