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डॉ. भीमराव अम्बेडकर बाबा साहेब के अनमोल विचार

भारत के संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अम्बेडकर बाबा साहेब के अनमोल विचार (Dr. B R Ambedkar Quotes in Hindi) उनके आदर्शों को दर्शाते हैं। डॉ. भीम राव अम्बेडकर (बाबा साहेब) कहते थे ‘शिक्षित बनो !, संगठित रहो!, संघर्ष करो!’ आइये जानते हैं डॉ. भीमराव अम्बेडकर (बाबा साहेब) के अनमोल विचारों को

बाबा साहेब के अनमोल विचार

  • हम सबसे पहले और अंत में भारतीये हैं।
एक सफल क्रांति के‍ लिए सिर्फ असंतोष का होना पर्याप्‍त नहीं है। जिसकी आवश्‍यकता है वो है न्‍याय एवं राजनीतिक और सामाजिक अधिकारों में गहरी आस्‍था।
कानून और व्‍यवस्‍‍था राजनीतिक शरीर की दवा है और जब राजनीतिक शरीर बीमार पड़े तो दवा जरूर दी जानी चाहिए।
  • मेरे नाम की जय-जयकार करने से अच्‍छा है, मेरे बताए हुए रास्‍ते पर चलें।
  • यदि मुझे लगा कि संविधान का दुरूपयोग किया जा रहा है, तो मैं इसे सबसे पहले जलाऊंगा।
  • रात रातभर मैं इसलिये जागता हूँ क्‍योंकि मेरा समाज सो रहा है।
इतिहास बताता है‍ कि जहाँ नैतिकता और अर्थशास्‍त्र के बीच संघर्ष होता है वहां जीत हमेशा अर्थशास्‍त्र की होती है। निहित स्‍वार्थों को तब तक स्‍वेच्‍छा से नहीं छोड़ा गया है जब तक कि मजबूर करने के लिए पर्याप्‍त बल ना लगाया गया हो।
  • सागर में मिलकर अपनी पहचान खो देने वाली पानी की एक बूँद के विपरीत, इंसान जिस समाज में रहता है, वहां अपनी पहचान नहीं खोता।
इंसान का जीवन स्‍वतंत्र है। इंसान सिर्फ समाज के विकास के लिए नहीं पैदा हुआ है, बल्कि स्‍वयं के विकास के लिए पैदा हुआ है।
  • मैं ऐसे धर्म को मानता हूँ जो स्‍वंतत्रता, समानता और भाईचारा सिखाता है।
जब तक आप सामाजिक स्‍वतंत्रता नहीं हासिल कर लेते, कानून आपको जो भी स्‍वतंत्रता देता है वो आपके लिये बेमानी हैं।
  • समानता एक कल्‍पना हो सकती है, लेकिन फिर भी इसे एक गवर्निंग सिद्धांत रूप में स्‍वीकार करना होगा।
यदि हम एक संयुक्‍त एकीकृत आधुनिक भारत चाहते हैं तो सभी धर्मों के शाश्‍त्रों की संप्रभुता का अंत होना चाहिए।
  • हर व्‍यक्ति जो मिल के सिद्धांत कि एक देश दूसरे देश पर शाशन नहीं कर सकता को दोहराता है उसे ये भी स्‍वीकार करना चाहिए कि एक वर्ग दूसरे वर्ग पर शाशन नहीं कर सकता।
पति-पत्‍नी के बीच का सम्‍बन्‍ध घनिष्‍ट मित्रों के सम्‍बन्‍ध के सामान होना चाहिए।
  • मैं राजनीति में सुख भोगने नहीं बल्कि अपने सभी दबे-कुचले भाईयों को उनके अधिकार दिलाने आया हूँ।
मनुवाद को जड़ से समाप्‍त करना मेरे जीवन का प्रथम लक्ष्‍य है।
  • मैं गौरी, गणपति और हिन्‍दुओं के अन्‍य देवी-देवताओं में आस्‍था नहीं रखूँगा और न ही मैं उनकी पूजा करूँगा।
जो धर्म जन्‍म से एक को श्रेष्‍ठ और दूसरे को नीच बनाए रखे, वह धर्म नहीं, गुलाम बनाए रखने का षड़यंत्र है।
  • राजनीतिक अत्‍याचार सामाजिक अत्‍याचार की तुलना में कुछ भी नहीं है और एक सुधारक जो समाज को खारिज कर देता है वो सरकार को खारिज कर देने वाले राजतीतिज्ञ से कहीं अधिक साहसी हैं।
एक महान व्‍यक्ति एक प्रतिष्ठित व्‍यक्ति से अलग है क्‍योंकि वह समाज का सेवक बनने के लिए तैयार रहता है।
  • मैं किसी समुदाय की प्र‍गति महिलाओं ने जो प्रगति हांसिल की है उससे मापता हूँ।
आज भारतीय दो अलग-अलग विचारधाराओं द्वारा शाशित हो रहे हैं। उनके राजनीतिक आदर्श जो संविधान के प्रस्‍तावना में इंगित हैं वो स्‍वतंत्रता, समानता, और भाई-चारे को स्‍थापित करते हैं, और उनके धर्म में समाहित सामाजिक आदर्श इससे इनकार करते है।
  • जीवन लम्‍बा होने की बजाय महान होना चाहिए।
मनुष्‍य नश्‍वर है। उसी तरह विचार भी नश्‍वर हैं। एक विचार को प्रचार प्रसार की जरूरत होती है, जैसे कि एक पौधे को पानी की नही तो दोनों मुरझा कर मर जाते हैं।
  • एक सुरक्षित सेना एक सु‍रक्षित सीमा से बेहतर है।
हिंदू धर्म में, विवेक, कारण और स्‍वतंत्र सोच के विकास के लिए कोई गुंजाइश नहीं हैं।
  • बुद्धि का विकास मानव के अस्तित्‍व का महत्‍वपूर्ण लक्ष्‍य होना चाहिए।
मैं यह नहीं मानता और न कभी मानूंगा कि भगवान बुद्ध विष्‍णु के अवतार थे। मैं इसे पागलपन और झूठा प्रचार-प्रसार मानता हूँ।
  • जो कौम अपना इतिहास नहीं जानती, वह कौम कभी भी इतिहास नहीं बना सकती।
भाग्‍य में नही अपनी शक्ति में विश्‍वास रखो।

हमारे पास यह स्‍वतंत्रता किस लिए है ? हमारे पास ये स्‍वतंत्रता इसलिए है ताकि हम अपने सामाजिक व्‍यवस्‍था, जो असमानता, भेद-भाव और अन्‍य चीजों से भरी है, जो हमारे मौलिक अधिकारों से टकराव में है उस सुधार सकें।

  • लोग और उनके धर्म सामाजिक मानकों द्वारा सामाजिक नैतिकता के आधार पर परखे जाने चाहिए। अगर धर्म को लोगो के भले के लिए आवशयक मान लिया जायेगा तो और किसी मानक का मतलब नहीं होगा|

उदासीनता लोगों को प्रभावित करने वाली सबसे खराब किस्‍म की बिमारी है।

  • राष्‍ट्रवाद तभी औचित्‍य ग्रहण कर सकता है, जब लोगों के बीच जाति, नरल या रंग का अन्‍तर भुलाकर उसमें सामाजिक भ्रातृत्‍व को सर्वोच्‍च स्‍थान दिया जाये।
मैं तो जीवन भर कार्य कर चुका हूँ अब इसके लिए नौजवान आगे आए।
बाबा साहेब के अनमोल विचार
  • लोकतंत्र सरकार का महज एक रूप नहीं है।
धर्म में मुख्‍य रूप से केवल सिद्धांतों की बात होनी चाहिए। यहां नियमों की बात नहीं हो सकती।
  • हालांकि, मैं एक हिंदू पैदा हुआ था, लेकिन मैं सत्‍यनिष्‍ठा से आपको विश्‍वास दिलाता हूँ कि मैं हिन्‍दु के रूप में मरूगां नहीं।
एक इतिहासकार, सटीक, ईमानदार और निष्‍पक्ष होना चाहिए।
संविधान, यह एक मात्र वकीलों का दस्‍तावेज नहीं। यह जीवन का एक माध्‍यम है।
  • किसी का भी स्‍वाद बदला जा सकता है लेकिन जहर को अमृत में परिवर्तित नही किया जा सकता।
न्‍याय हमेशा समानता के विचार को पैदा करता है।
  • मन की स्‍वतंत्रता ही वास्‍तविक स्‍वतंत्रता है।
मनुष्‍य एवं उसके धर्म को समाज के द्वारा नैतिकता के आधार पर चयन करना चाहिये। अगर धर्म को ही मनुष्‍य के लिए सब कुछ मान लिया जायेगा तो किन्‍ही और मानको का कोई मूल्‍य नहीं रह जायेगा।
  • इस दुनिया में महान प्रयासों से प्राप्‍त किया गया को छोडकर और कुछ भी बहुमूल्‍य नहीं है।
ज्ञान व्‍‍यक्ति के जीवन का आधार हैं।

शिक्षा जितनी पुरूषों के लिए आवशयक है उतनी ही महिलाओं के लिए।

  • महात्‍मा आये और चले गये परन्‍तु अछुत, अछुत ही बने हुए हैं।

स्‍वतंत्रता का रहस्‍य, साहस है और साहस एक पार्टी में व्‍यक्तियों के संयोजन से पैदा होता है।

  • गुलाम बन कर जिओगे तो कुत्ता समझ कर लात मारेगी ये दुनिया। नवाब बन कर जिओगे तो शेर समझ कर सलाम ठोकेगी ये दुनिया।
’डॉ. भीमराव अम्बेडकर बाबा साहेब के अनमोल विचार ~ Dr. B R Ambedkar Quotes in Hindi” आपको कैसे लगे। ‘डॉ. भीमराव अम्बेडकर’ के विचारों ने आपको कितना इंस्पायर्ड किया , मोटिवेट किया कृपया कमेंट करके अवश्य बतायें, आपके किसी भी प्रश्न एवं सुझावों का स्वागत है। शेयर करें, मूलनिवासी वेबसाइट की विज़िट करने के लिए आप का तहे दिल से धन्यवाद। और भीम जयंती की शुभकामनाएं।

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