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लखीमपुर खीरी की घटना पर मोदी, शाह की चुप्पी से समर्थक भी निराश

उत्तर प्रदेश में लखीमपुर खीरी की घटना पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोई टिप्पणी नहीं की और न केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कोई बयान दिया। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भी चुप रहे। प्रभारी या चुनाव प्रभारी का वैसे भी कोई मतलब नहीं है। इसलिए उनसे किसी को बयान की उम्मीद नहीं की थी। लेकिन मोदी और शाह की चुप्पी ने उनके समर्थकों को भी निराश किया है। लखीमपुर खीरी में चार किसानों सहित आठ लोगों के मारे जाने और कई लोगों के घायल होने की घटना के बाद समर्थक भी उम्मीद कर रहे थे कि राष्ट्रीय नेतृत्व इसका संज्ञान लेगा और कोई न कोई दिशा-निर्देश देगा। UttarPradesh Lakhimpur Kheri violence

लेकिन घटना के तीन दिन बाद तक मोदी और शाह में से किसी का बयान नहीं आया। विपक्ष के शासन वाले राज्यों में हिंसा होने, आगजनी होने या लोगों के मारे जाने की घटना पर केंद्रीय गृह मंत्रालय तत्काल संज्ञान लेता है और राज्य सरकार से रिपोर्ट तलब करता है। अगर ज्यादा बड़ी घटना है तो केंद्रीय गृह मंत्रालय की टीम जाती है, हालात का मुआयना करने। इस रिपोर्ट से या टीम के विजिट करने से कुछ होता नहीं है लेकिन यह संदेश जाता है कि केंद्र सरकार हालात पर नजर रखे हुए है और अगर कुछ गड़बड़ी होती है तो केंद्रीय टीम इसे संभालेगी। लेकिन लखीमपुर खीरी की घटना में रिपोर्ट मंगाने या टीम भेजने की बुनियादी औपचारिकता भी नहीं निभाई गई।

लखीमपुर खीरी की घटना

तभी कई लोगों ने याद दिलाया कि भाजपा का शीर्ष नेतृत्व अक्सर ऐसी घटनाओं पर रहस्यमय चुप्पी साध लेता है। रोहित वेमुला की घटना से लेकर अखलाक की लिंचिंग तक और महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे के महिमामंडन से लेकर किसानों के मरने तक इस तरह के हर मामले में प्रधानमंत्री चुप रहे। उन्होंने बहुत बाद में अपनी सुविधा से समय चुन कर इस पर बयान दिया। जरूरत यह होती है कि प्रधानमंत्री तत्काल रिपोर्ट मंगाएं और देश के लोगों को भरोसा दिलाएं। अगर केंद्र सरकार और केंद्रीय नेतृत्व अपने शासन वाले राज्यों में भी किसी गड़बड़ी पर संज्ञान ले, फोन पर निर्देश दे, रिपोर्ट मंगाए तो उसकी साख ही मजबूत होती है।

तभी भाजपा के कई समर्थकों ने सोशल मीडिया पर इस बात पर निराशा जताई कि मोदी और शाह क्यों चुप हैं। मोदी सरकार की हर नीति और भाजपा की हर गतिविधि का बिना शर्त समर्थन करने वाले मिन्हाज मर्चेंट ने ट्विट किया कि मोदी और शाह की चुप्पी समझ में नहीं आने वाली है। उन्होंने आगे लिखा- यहीं समय होता है, जब नेतृत्व दिखाया जाता है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ फुर्ती से कार्रवाई कर रहे हैं। लेकिन केंद्रीय नेतृत्व कहीं नहीं दिख रहा है। चुनाव जीतना महत्वपूर्ण है। लेकिन सही समय पर सही काम करना ज्यादा अहम है। इस मामले में सही काम यह था कि प्रधानमंत्री और गृह मंत्री राज्य के हालात का संज्ञान लेते, किसानों और आम लोगों के साथ साथ विपक्ष को भी भरोसा दिलाते और जरूरत होती तो अपनी पार्टी और सरकार के लोगों पर कार्रवाई करते। इस तरह की सुविधाजनक चुप्पी आमतौर पर नेतृत्व को नुकसान पहुंचाती है।

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