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हाथरस दुष्कर्म घटना के आरोपी को न्यायालय ने फांसी की सजा सुनाई

उत्तर प्रदेश के हाथरस दुष्कर्म घटना के बाद 13 वर्षीय किशोरी को जिंदा जलाकर मारने वाले युवक को न्यायालय ने फांसी की सजा सुनाई है। अपर जिला एवं सत्र न्यायालय की विशेष जज (पॉक्सो अधिनियम) प्रथम प्रतिभा सक्सेना ने दोषी पर 1.68 लाख रुपये का अर्थदंड भी लगाया है।

हाथरस दुष्कर्म घटना

न्यायालय ने अपने आदेश में क्या कहा

हाथरस: दुष्कर्म के बाद 13 वर्षीय किशोरी को जिंदा जलाकर मारने वाले युवक को न्यायालय ने फांसी की सजा सुनाई है। अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश – विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो अधिनियम) प्रथम प्रतिभा सक्सेना के न्यायालय में इस मामले की सुनवाई चल रही थी। न्यायालय ने आरोपी को अर्थदंड की सजा भी सुनाई है। न्यायालय ने अपने आदेश में कहा है कि अभियुक्त को तब तक फांसी पर लटकाया जाए, जब तक कि उसकी मृत्यु न हो जाए।

हाथरस दुष्कर्म घटना

घटना 15 अप्रैल 2019 की है। कोतवाली सिकंदराराऊ क्षेत्र के एक गांव निवासी 13 वर्षीय किशोरी के माता-पिता रिश्तेदारी में गए हुए थे। किशोरी अपनी नानी के साथ घर पर थी। रात्रि 10 बजे मोनू ठाकुर निवासी नगला रमिया, थाना सिकंदराराऊ अपने दो साथियों के साथ वहां आ गया। इन लोगों ने किशोरी के साथ जबर्दस्ती की। जब किशोरी ने विरोध किया तो उस पर केरोसिन उड़ेलकर जला दिया। इसके बाद आरोपी भाग गए।

हाथरस दुष्कर्म घटना के आरोपी

इस मामले में आरोपी मोनू ठाकुर को पुलिस ने अगले दिन गिरफ्तार कर लिया था और मुकदमा दर्ज कर लिया था। वहीं, किशोरी को गंभीर हालत में अलीगढ़ के जेएन मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था। एक मई को उपचार के दौरान किशोरी की मौत हो गई थी। मौत से पहले किशोरी के बयान अलीगढ़ के अतिरिक्त सिटी मजिस्ट्रेट द्वितीय द्वारा दर्ज किए गए थे। बयान और किशोरी की मौत के बाद मुकदमे में दुष्कर्म समेत कई धाराएं बढ़ा दी गईं।
मृत्यु पूर्व बयान में किशोरी ने अपने साथ तीन लोगों द्वारा जबर्दस्ती करने और मिट्टी का तेल (केरोसिन) छिड़क कर आग लगाने की बात कही थी। किशोरी ने मोनू ठाकुर की शिनाख्त करने की बात कही थी। तत्कालीन कोतवाली उप निरीक्षक मनोज कुमार शर्मा द्वारा इस मामले में विवेचना की गई और मोनू ठाकुर के खिलाफ न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल किया गया था।

विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो अधिनियम)

अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश -विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो अधिनियम) प्रथम प्रतिभा सक्सेना के न्यायालय में मामले की सुनवाई चल रही थी। न्यायालय ने आरोपी को दोषी मानते हुए मृत्युदंड की सजा सुनाई है। साथ ही 168000 रुपये का जुर्माना लगाया है। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि अभियुक्त मोनू ठाकुर की गर्दन में फांसी लगाकर तब तक लटकाया जाए, जब तक कि उसकी मृत्यु न हो जाए। न्यायालय ने यह भी कहा है कि अर्थदंड में से मिली धनराशि में से आधी धनराशि मृतका के संरक्षक अथवा आश्रित को दी जाए। अभियोजन पक्ष की ओर से अपर जिला शासकीय अधिवक्ता राजपाल सिंह दिशवार ने पैरवी की।

      विरल से विरलतम

अभियुक्त द्वारा कारित अपराध ‘विरल से विरलतम’ श्रेणी का
हाथरस। न्यायालय ने अपने आदेश में कहा है कि 13 वर्ष की उस मासूम बालिका ने जीवन के विभिन्न रंग और संसार को ठीक से देखा भी न था और अपना प्राकृतिक जीवन भी ठीक से आरंभ नहीं कर पाई थी। दुष्कर्म से लेकर जलाने तक उसने अंतिम सांस तक की मध्य की अवधि में जो मानसिक और शारीरिक वेदना सहन की होगी, उसका मात्र अनुमान करने पर ही किसी भी सामान्य व्यक्ति की अंत: चेतना कंपित हो जाएगी। अत: अभियुक्त मोनू ठाकुर द्वारा कारित अपराध ‘विरल से विरलतम’ श्रेणी में आता है। 

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