में भारत का संविधान हूं Constitution Day of India Poem in Hindi, 26 नवंबर 1949 का दिन देेेश कभी नहीं भूल सकता। यह दिन भारत के इतिहास के सबसे महत्वपूर्ण दिनों में से एक है। अंग्रेजी हुकूमत से आजादी और अपने स्वदेसी संविधान के खातिर ना जाने कितने देश के वीर जवानों ने अपने प्राणों की आहूत दी। भारत को आजादी और उसका अपना खुद का संविधान का सपना हर भारतीय के दिल दिमाग में था। आजादी तो भारत को 15 अगस्त 1947 में मिल गई। इसके बाद बारी थी देश का अपना संविधान बनाने की जिसमें सबसे बड़ी भूमिका अदा की स्वतंत्रता सेनानी और महान विचारक भीमराव अंबेडकर जी ने, जिन्हे संविधान का मसौदा तैयार करने का कार्य मिला और 2 साल 11 महीने और 18 दिन कड़ी मेहनत के बाद भारत का संविधान बनकर तैयार हुआ और वह दिन था 26 नवंबर 1949 का इस ऐतिहासिक दिन को संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है। संविधान दिवस पर कविता प्रस्तुत कर है। कंस्टीटूशन डे ऑफ इंडिया पोएम हिंदी भाषा में इस आर्टिकल में दी जा रही है।

संविधान दिवस पर कविता 2021| Constitution Day of India Poem in Hindi
संविधान दिवस पर कविता 2021
संविधान दिवस हर साल 26 नवंबर को भीमराव अंबेडकर जी की याद में मनाया जाता है। आज के दिन संविधान दिवस मनाकर उन्हें याद किया जाता है और देशभर में इस दिन उनके इतने बड़े योगदान के बारे में लोगों को बताया जाता है। भीमराव अंबेडकर ने देश के लिए काफी कुछ किया जिसका पता हर एक भारतीय को होना चाहिए। देश के संविधान निर्माण में मुख्य भूमिका अदा करने वाले भीमराव अंबेडकर जी को संविधान दिवस पर सच्चे मन से याद कर उनका सम्मान करें।
- ताकतवर बहुत है यह गणतंत्र I
बदल देता है यह राज्य तंत्र I
कमजोर नहीं शक्तिशाली है यह ,
है सत्ता परिवर्तन का सहज यह मंत्र I
संविधान देता है सबको हक़ जीने का I
अवसर शाशन हेतु साठ महीने का I
जनता बिठाती है सर आँखों पर लेकिन ,
बदले में चाहती है शाशन करीने का I
- गणतंत्र दिवस पर सभी को गर्व है I
देश का यह सर्वोत्तम पर्व है I
समान अधिकार देता है नागरिकों को ,
खुली हवा खुली आँखों का ये स्वर्ग है I
Constitution Day of India Poem in Hindi
मैं भारत का संविधान हूँ , लाल किले से बोल रहा हूँ
मेरे वादे समता के है, दीन दुखी के ममता के है कोई भूखा नहीं रहेगा , कोई आंसू नहीं बहेगा ,
मेरा गलत अर्थ करते हो, सब व्यर्थ करते हो , खूनी फाग मनाते तुम हो, मुझ पर दाग लगाते तुम हो ।
मेरे प्यारो आँखे खोलो, दिल पे हाथ रखो फिर बोलो ,
जैसा हिंदुस्तान दिखा है, ऐसा मुझमे कहा लिखा है
मैं भारत का संविधान हूँ , लाल किले से बोल रहा हूँ ॥
मेरे तन में अपमानो के भाले ऐसे गड़े हुए है
Bahut hi achi kavita likhi hai, jisne likhne ka prayas kiya hai usko koti koti naman kartahu, aur uski vichar dhara ko dil se salute karta hu, samvidhan divas ki dher sari subhkamnao, jai samvidhan jai bharat.