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आज की हमारी पोस्ट ओबीसी समाज को समर्पित है ! Dedicated to OBC Society

आज की हमारी पोस्ट ओबीसी समाज को समर्पित है ! Dedicated to OBC Society
देश की कूल आबादी का 52% से ज्यादा आबादी ओबीसी समाज की है । लेकिन इस के बावजूद ओबीसी समाज देश के हर क्षेत्र में बुरी तरह से पिछड़ा हुआ समाज है, जिस का सब से बड़ा ज़िम्मेदार ये समाज खुद भी है । ओबीसी को लगता है कि,
“ब्राह्मण से नीच हैं तो क्या हुआ, हम एससी एसटी समाज से तो श्रेष्ठ हैं”
ओबीसी समाज की इसी मानसिकता की वजह से वो आज तक खुद की ताकत को पहचान नहीं पाए हैं !
दूसरा सब से बड़ा कारण ये भी है कि ब्राह्मणों ने ओबीसी समाज को हिन्दू होने की अफीम चटा रखी है, इसी वजह से ओबीसी समाज हिन्दू धर्म के लिए लडने मरने को तैयार रहता है !
ख़ैर ! अब सवाल ये उठता है कि ओबीसी शब्द आया कहां से ?

OBC Society के जन्मदाता कौन, क्यों और कैसे ? – इस सन्देश को ओ बी सी भाई जरूर पढ़े । वैसे सबके लिए जानना जरूरी हैं।

ओबीसी समाज को समर्पित है ! Dedicated to OBC Society

डॉ बाबासाहब और ओबीसी का रिश्ता :
इस देश में ओबीसी के ‘संवैधानिक जन्मदाता’ एवं ‘संवैधानिक रखवाला’ कोई और नहीं, बल्कि “बाबासाहब डॉ भीमराव आंबेडकर” ही हैं ।

सन् 1928 में बाम्बे प्रान्त के गवर्नर ने ‘स्टार्ट’ नाम के एक ब्रिटिश अधिकारी की अध्यक्षता में पिछड़ी जातियों के लिए एक कमेटी नियुक्त की थी।इस कमेटी में डॉ. बाबासाहेब आम्बेडकर ने ही शूद्र वर्ण से जुडी जातियों के लिए “Other Backward Cast” शब्द का सर्वप्रथम उपयोग किया था, इसी शब्द का शार्टफॉर्म (OBC Society) ओबीसी है; जिसको सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़ी हुई जाति के रूप में आज हम पहचानते हैं एवं उनको पिछड़ी जाति या ओबीसी कहते हैं।

स्टार्ट कमिटी के समक्ष अपनी बात रखते हुए डॉ. बाबा साहेब आम्बेडकर ने देश की जनसंख्या को तीन भाग में बांटा था :-

(1) अपरकास्ट(Upper cast) जिसमें ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य जैसी उच्च वर्ण
जातियां आती थी ।

(2) बैकवर्डकास्ट (Backward cast) जिसमे सबसे पिछड़ी और अछूत बनायी गई जातियां और आदिवासी समुदाय की जातियों को समाविष्ट किया गया था ।

(3) जो जातियाँ बैकवर्ड कास्ट और अपर कास्ट के बीच में आती थी ऐसी शूद्र वर्ण मानी गई जातियों के लिए Other Backward Cast शब्द का प्रयोग किया गया था, जिसको शार्टफॉर्म में हम ओबीसी कहते हैं।

बाबासाहब ने ही संविधान के अनुच्छेद 340 धारा में ओबीसी की पहचान; उनकी गिनती कर, उनको उनकी संख्या के अनुपात में जातिगत आरक्षण का प्रावधान किया था।
क्योंकि उस समय तक OBC Society की जातियों की सूची ही नही बनी थी।

  • बाबासाहब ने ही ओबीसी के लिए निर्मित संविधान के अनुच्छेद 340 को लागू कराने के लिये दबाव ब्राह्मणी कांग्रेस पर डाला; पर ब्राह्मणी कांग्रेस के ब्राह्मण प्रधानमन्त्री नेहरू इसके लिए तैयार नहीं हुए।

इसीलिए बाबासाहब ने अपने कैबिनेट मंत्री पद और ब्राह्मणी कांग्रेस दोनों सेइस्तीफा दे दिया था । ओबीसी के लिए कैबिनेट के मंत्रीपद को लात मारने वाले भारत के एक मात्र नेता ”बाबासाहब डॉ आंबेडकर” ही हैं ।

पर यह बात आज तक ओबीसी से ब्राह्मणों ने छुपायी । बाबा साहेब के दबाव एवं संवैधानिक बाध्यता के कारण ही बाद में ब्राह्मण नेहरू ने ब्राह्मण जाति के काका कालेलकर आयोग का गठन ओबीसी की जातियों की पहिचान के लिए बनाया गया।

संविधान के अनुच्छेद 340 के अनुसार राष्ट्रपति एक कमीशन नियुक्त करेंगे और कमीशन ओबीसी जातियों की पहिचान करके उनके विकास के लिए जो भी सिफारिशें करेगा उनको अमल में लाया जाएगा।

संविधान के अनुच्छेद 15-(4), 16(4) केअनुसार ओबीसी जातियों के सरकारी तन्त्र में पर्याप्त प्रतिनिधित्व के लिए भारत सरकार उचित कदम उठाएगी।

शासन और प्रशासन में प्रभुत्व जमाये बैठे ब्राह्मणी जातिवादियों ने ओबीसी के लिए नियुक्त काका कालेलकर कमीशन की रिपोर्ट को संसद के समक्ष भी नहीं रखा और कालेलकर कमीशन की रिपोर्ट को कभी भी मान्यता नहीं दी और उसे लागू नहीं किया गया।

1978 में केन्द्र सरकार ने ओबीसी जातियों की पहचान और उनकी उन्नति की सिफारिशों के लिए दूसरा कमीशन बी पी मंडल की अध्यक्षता में नियुक्त किया।

मंडल कमीशन रिपोर्ट-1980 को भी सत्ता मे प्रभुत्व जमाये बैठे जातिवादी ब्राम्हणों ने लागू करने की जरुरत नहीं समझी और 1990 तक मंडल कमीशन की रिपोर्ट सचिवालय (IAS ब्राम्हणों ) की अलमारी में धूल खाती रही।

7 अगस्त 1990 के दिन प्रधानमन्त्री वी0 पी0 सिंह की केन्द्र सरकार ने देश के 52% ओबीसी समुदाय के लिए मंडल कमीशन की सिफारिशों के अनुसार केन्द्रीय नौकरियों में 27% ओबीसी आरक्षण लागू करने की घोषणा की, जिसके विरोध में ब्राह्मणों ने देशभर में मंडल विरोधी आंदोलन प्रारंभ किया।

इस प्रकार एक सुनियोजित षड़यंत्र के तहत बाबा साहेब डॉ आम्बेडकर को पिछड़े वर्गों का विरोधी बताया जाता है ताकि सदियों से शोषित सम्पूर्ण शूद्र समाज (ओबीसी + एससी / एसटी) को आपस में लडा कर मलाई काटी जा सके और उत्तर प्रदेश में यह काम इन्होंने बखूबी अंजाम दिया है।

अब समय आ गया है कि इनके षडयंत्र को समझते हुए आपस में एकता बनाएं और सम्पूर्ण OBC,ST,SC मूलनिवासी बहुजन समाज को मजबूत करें।

यह सन्देश कम से कम 50 ओबीसी भाइयों को अवश्य भेजें।

यह हम सबकी जिमेदारी बनती है ।

जय भीम जय मुलनिवासी ..

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