भारतीय इतिहास की सबसे बड़ी विडंबना ये रही है की ब्राह्मणवादी तंत्र में लिपटा और सत्ता पर बैठा ब्राह्मणवाद से ओत पोत इस तंत्र ने केवल और केवल ब्राह्मणों को आगे किया है, मुलनिवासी के महान कार्य से खुन्नस खाये ये ब्राह्मणवादी लोगो ने जबरन हमारे महापुरुषों के समानतर किसी ब्राह्मण को खड़ा कर के हमारे महापुरूषों के इतिहास को दबाते चले आ रहे है !
आज हम शिक्षक दिन किस के नाम पर मनाया जाना चाहिए ईस बात पर चर्चा करेंगे. जिसे एक पूर्व ब्राह्मण सर्वपल्ली राधा कृष्णन के जन्म दिन को समर्पित कर दिया गया । क्या वो इस लायक थे कि उस के जन्म दिन पर शिक्षक दिन मनाया जाना चाहिए?
यह देश का ब्राह्मणवादी तंत्र ही है कि देश की पहली महिला अध्यापिका दादी साहिबा सावित्री बाई फुले जी के शिक्षा के क्षेत्र में महान कार्यों की चर्चा ही नहीं की जाती! क्योंकि वो ब्राह्मण नहीं थे! इसे देश की विडंबना कहें या ब्राह्मणों का षडयंत्र, जहां किसी भी इंसान की जाति ही उस की पहचान मानी जाती है !
शिक्षक दिन किस को समर्पित होना चाहिए ? सर्वपल्ली राधा कृष्णन vs ज्योति राव फुले/सावित्री बाई फुले
दोनो के ”Education” के लिए किये गए कार्यो को देखो.. फिर फैसला आप ही करना कि कौन शिक्षक दिन का हकदार है…! “शिक्षक दिन” किस को समर्पित होना चाहिए ? ..
- सर्वपल्ली राधाकृष्णन के पैदा होने के 40 साल पहले से ही ‘‘ज्योतिराव फुले” ने आधुनिक भारत में शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति शुरु कर दी थी !
सर्वपल्ली राधा कृष्णन vs ज्योति राव फुले/सावित्री बाई फुले
- ”ज्योतिराव फुले” का जन्म 11 अप्रैल 1827 में हुआ और उन्होंने क्रांति की शुरुवात 1848 को ही कर दी जबकि ”सर्वपल्ली राधाकृष्णन” का जन्म 5 सितंबर 1888 को हुआ, मतलब फुले की क्रांति के 40 साल बाद!
- ”ज्योतिराव फुले” ने 1848 से शुरू कर 4 साल के अन्दर ही करीब 20 स्कूल खोल डाले, जब की सर्वपल्ली राधेकृष्ण ने एक भी स्कूल नहीं खोला!
- ज्योतिराव फुले ने पिछड़ी जात के लोगो को बिना पैसे लिए शिक्षा दी, जब की सर्वपल्ली राधा कृष्णन ने जिंदगी भर पैसे की लालच में लोगो को पढ़ाया !
- ”ज्योतिराव फुले” ने खुद की जेब से पैसे खर्च कर लोगो को शिक्षा दी, जबकि सर्वपल्ली राधा कृष्णन ने शिक्षा देने के नाम पर खूब पैसा कमाया!
- ”ज्योतिराव फुले” ने गांवों और देहातों में 20 स्कूल खोले, जब की सर्वपल्ली राधाकृष्णन गावो में स्कूल खोलने गया ही नहीं थे!
- सबको बैज्ञानिक सोच वाली शिक्षा ”ज्योतिराव फुले” ने दिया, जबकि सर्वपल्ली राधा कृष्णन ”ब्राह्मण धर्म” (हिन्दू धर्म) की गैर बराबरी और अंधविश्वास वाली शिक्षा का कट्टर समर्थक थे !
- ज्योति राव फुले ने ”बाल विवाह” का विरोध और ”विधवा विवाह” को बढ़ावा दिया, जबकि सर्वपल्ली राधा कृष्णन बाल विवाह का समर्थक थे, और विधवा विवाह के विरोधी!
- महिलाओं के लिए पहला स्कूल अगस्त 1848 को ”ज्योतिराव फुले” ने खोला जब कि सर्वपल्ली राधा कृष्णन महिलाओं को शिक्षा देने का ही विरोधी थे...
- ज्योतिराव फुले ने सबसे पहले अपनी पत्नी सावित्री बाई फुले जी को शिक्षित किया, लेकिन सर्वपल्ली राधा कृष्णन ने अपनी पत्नी को ही अनपढ़ बनाए रखा !
- “ज्योतिराव फुले” ने अपना गुरु ”छत्रपति शिवाजी महाराज” को माना सर्वपल्ली ने अपना गुरु ब्राह्मण भगौड़ा ”सावरकर” को माना!
- ”ज्योतिराव फुले ने ”गुलामगिरी” नामक ग्रन्थ लिख पिछड़ी जातियों को गुलामी का एहसास कराया… जबकि सर्वपल्ली राधा कृष्णन ने ब्राह्मण धर्म का कट्टर समर्थन कर बहुजनो के दिमाग की नसबंदी कर उनके दिमाग को नपुंसक बनाया!
- किसानो को जगाने के लिए ”ज्योतिराव फुले” ने किताबे लिखी जैसे ”किसान का कोड़ा’‘, आज से 150 साल पहले ‘कृषि विद्यालय’ की बात की, जबकि सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने जितनी भी किताबें लिखी सब की सब ब्राह्मण धर्म को महिमा मंडित करने के उद्देश्य से लिखी!
- सभी को शिक्षा मुफ्त और सख्ती दी जाये इसके लिए ”हंटर कमिशन” (उस समय का भारतीय एजुकेशन आयोग) के आगे अपनी मांग ”ज्योतिराव फुले” ने रख्खी, जब की राधाकृष्णन बहुजनो को एजुकेशन देने का विरोधी थे!
- लोगो ने ”ज्योतिराव फुले” को ”राष्ट्रपिता” की उपाधि दी, और ब्राह्मण सरकार ने सर्वपल्ली राधाकृष्णन को डॉ. की उपाधि दी !
- ”ज्योतिराव फुले” ने ब्राह्मणों को विदेशी कहा और राधाकृष्णन ने भी खुद को विदेशी आर्य ब्राह्मण कहा.
- अंत में हम ये बात जरूर कहना चाहेंगे कि सभी को शिक्षा देने वाले दादा साहब महात्मा ज्योति राव फुले जी और दादी साहिबा सावित्री बाई फुले को जिन्दगी में जिन समस्याओं और परेशानियों का सामना करना पड़ा, उस का शून्य प्रतिशत भी सर्वपल्ली राधाकृष्णन को नहीं करना पड़ा !
तो ये सवाल अब हम आप पर छोड़ देते हैं कि “शिक्षक दिन” किस को समर्पित होना चाहिए ?
आप हमें कमेंट करके जरुर बताईए और ईस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा शेर करे धन्यवाद…